Thursday 28 July 2022

मौत की सजा सुना गए मानो

 

चोट दिल पर गहरी लगा गए मानो, मौत की सजा सुना गए यह सच है कि यह जख्म अब कभी भरेगा नहीं दिल चाह कर भी अब किसी से प्यार करेगा नहीं, हां तेरे जाने से यह दुनिया बेगानी सी लगती है ,मेरी दास्तां सुनाने बालों को यह एक कहानी सी लगती है, जख्म अभी गहरा है ताजा है और रहेगा देखने वालों को मेरी चोट भी पुरानी लगती है, ऐसा कोई दिन एक पल नहीं जाता, जिसमें मुझे तेरा ख्याल नहीं आता, नींद से जैसे कोई दुश्मनी सी हो गई है सीने में सांसों की कमी सी हो गई है अब कोई और छुएगा तुझे, यह सोचकर पल-पल मरता रहता हूं नज्में  लिखता हूं और उसे रात भर पढ़ता रहता हूं, अगर कभी मेरी यादों से तेरी आजादी हो जाए, अगर किसी और के साथ तेरी शादी हो जाए, तो हो सके मेरे इश्क का मुझे दाम देना, अपने बेटे को मेरा ही नाम देना ,अपने बेटे को मेरा ही नाम देना......

Sunday 24 July 2022

श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिला संगठन मंत्री व जिला मीडिया प्रभारी बने -ग़ोविन्द सेंगर व अनुराग ठाकुर

 श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिला संगठन मंत्री व जिला मीडिया प्रभारी बने -ग़ोविन्द सेंगर व अनुराग ठाकुर     



   -बिधूना,औरैया- देश के सबसे बड़े संगठन श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना उत्तर प्रदेश के सुप्रीमो राकेश सिंह रघुवंशी जी के आदेशानुसार  गोविंद सिंह सेंगर को जिला संगठन मंत्री व जिला मीडिया प्रभारी अनुराग ठाकुर औरैया उत्तर प्रदेश के पद पर नियुक्ति किया गया है।मां करणी से प्रार्थना है। कि आप इस पद की गरिमा व सम्मान बनाए रखते हुए। संगठन द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को बखूबी निभाएंगे। संगठन की मजबूती में अपना पूर्ण योगदान देंगे। कार्यकाल के दौरान पद का व्यक्तिगत एवं राजनीतिक उपयोग, अनुशासन हीनता, एवं किसी भी तौर पर संगठन को नुकसान पहुचाने की स्थिति में आपको तुरंत प्रभाव से मुक्त कर दिया जाएगा। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना के करते है। वहीं आपको बताते चले ग़ोविन्द सेंगर ने बताया कि मैं पूरी निष्ठा व ईमानदारी के अपना दायित्व निभाऊंगा और टीम को बढ़ोत्तरी के पद आगे ले जाने में कुशल होंगे , वहीं जिला मीडिया प्रभारी अनुराग ठाकुर ने भी अपने सभी कार्यकर्ताओं को साथ में लेकर चलने का प्रण लिया व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर देश व प्रदेश में हो रही अनैतिक कार्यों से पर्दाफाश करेंगे जिससे कि सरकार व उच्चाधिकारियों तक बात को रख सकेंगे। टींम  राकेश सिंह रघुंवशी श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना डॉ सोनू चौहान  जिलाध्यक्ष औरैया जो कि पूरी तरह से कार्यों को निभा रहे उसी प्रकार से टीम के समस्त कार्यकर्ता भी पूरी तरह व ईमानदारी से कार्य करेंगे।




Saturday 23 July 2022

नितिन महादेव यादव की कहानी

 

शक्ति मिल्‍स गैंगरेप से लेकर जर्मनी बेकरी ब्‍लास्‍ट, कसाब और दाभोलकर मर्डर केस तक के अपराधियों को अपने स्‍केच के जरिए जेल की सलाखों तक पहुँचाने वाले नितिन महादेव यादव की कहानी


, जिन्हें प्यार से "आधा पुलिसवाला" भी कहा जाता है। कई लोग इन्हें 'यादव साहब' कह कर भी बुलाते है।


नितिन मात्र 5वीं कक्षा के छात्र थे जब उन्होंने कागज़ को बीस रुपये के नोट के आकार में काटा और अपने पेंट ब्रश की मदद से हूबहू असली नोट जैसा पेंट कर दिया।


उस नोट को लेकर नितिन एक होटल में गये और काउंटर पर वह नोट पकड़ा दिया। नोट इतना हूबहू पेंट हुआ था कि सामने खड़े व्यक्ति ने उसे असली नोट समझ कर रख लिया।


जब नितिन ने बताया के वह नोट नकली है तो सभी लोग पाँचवीं कक्षा के इस छात्र की प्रतिभा का लोहा मान गये।


एक रोज़ नितिन मुम्बई के ही एक पुलिस स्टेशन में नेमप्लेट पेंट कर रहे थे।


थाने में एक मर्डर केस आया, मर्डर का गवाह होटल में काम करने वाला एक वेटर था। पुलिस उससे मर्डर करने वाले व्यक्ति का हुलिया पूछ रही थी और वेटर समझा नही पा रहा था।


नितिन थानेदार के पास गये और उनसे कहा कि अगर वह वेटर को केवल आधा घंटा उसके साथ बैठने दें तो वह मर्डर करने वाले व्यक्ति का हूबहू स्केच तैयार कर सकता है।


पहले थानेदार ने नितिन की बात को मज़ाक में लिया पर नितिन के बार बार आग्रह पर थानेदार मान गया।


उसके बाद जो हुआ वह चमत्कार था।


वेटर से मर्डर करने वाले का हुलिया पूछने के बाद नितिन ने थानेदार के हाथ में एक स्केच पकड़ाया। वह चेहरा हूबहू मर्डर करने वाले व्यक्ति से मिलता था।


स्केच की मदद से 48 घंटे के अंदर वह आरोपी पकड़ा गया। सारा पोलिस महकमा अब नितिन का मुरीद बन चुका था।


कुछ समय के पश्चात एक लड़की से बलात्कार हुआ जो मूक बधिर थी। ना बोल सकती थी, ना सुन सकती थी। नितिन को तत्कालीन डीएसपी ने याद किया और बच्ची से मिलवाया।


नितिन बलात्कारी का चेहरा बच्ची की आँखों में देख चुके थे। नितिन ने एक एक कर के कई स्केच बनाये। कई तरह की आँखें, कई तरह का चेहरा। कई तरह के नैन-नक्श। एक एक कर इशारे के ज़रिये बच्ची बताती गयी की बलात्कारी कैसा दिखता है।


8 घँटे की अथक मेहनत के बाद नितिन मनोहर यादव ने डीएसपी के हाथ में बलात्कारी का स्केच थमा दिया।


स्केच की मदद से अगले 72 घण्टे में बलात्कारी को पकड़ा गया।


नितिन अब मुम्बई पोलिस के लिये संजीवनी बूटी बन चुके थे। हर एक केस में नितिन के स्केच ऐसी जान फूँक देते के पुलिस उसे आसानी से सुलझा लेती।


बीते 30 वर्ष के अंतराल में यादव पुलिस के लिये करीबन 4000 से अधिक स्केच बना चुके हैं।


उल्लेखनीय है के केवल यादव की बनायी हुई तस्वीर की बदौलत मुम्बई पुलिस 450 से अधिक खून5खार से खूँखार अपराधी को गिरफ्तार कर चुकी है।


अब वह विषय, जिसके लिये यह पूरा लेख लिखा गया है....


30 साल में किसी भी स्केच या तस्वीर के लिये नितिन ने पुलिस या किसी भी अन्य व्यक्ति से "एक नया पैसा" भी नहीं लिया है।


बार-बार पुलिस महकमे के बड़े से बड़े अफसर ने नितिन को ईनामस्वरूप धनराशि देने का प्रयास किया पर नितिन ने एक रुपया भी लेने से इनकार कर दिया।


"नितिन मनोहर यादव" चेम्बूर एजूकेशन सोसाइटी के एक स्कूल में शिक्षक रहे।


जो तनख्वाह आती उसी से गुज़र बसर करते रहे।


वह कहते हैं कि स्केच बना कर वह एक तरह से राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। असामाजिक तत्वों की पहचान होती है तो वह सलाखों के पीछे जाते हैं।


नितिन 30 साल तक अपना काम राष्ट्र सेवा के भाव से करते रहे और आज भी एक बुलावे पर सब कामकाज छोड़ कर हाज़िर हो जाते हैं।


30 साल की इस सेवा में नितिन को करीबन 164 प्रतिष्ठित संस्थाओं ने सम्मानित किया है।


नितिन बड़े फक्र से सम्मानपत्र और ट्रॉफी दिखाते हुये कहते हैं....


"यही मेरी कमाई है। यही मेरी जमापूँजी है!"


कभी कभी लगता है के यह राष्ट्र कैसे चल रहा है। चहुँओर बेईमानी का दबदबा है। चहुँओर भ्रष्ट आचरण का बोलबाला है।


फिर किसी दिन नितिन महादेव यादव जैसे किसी समर्पित व्यक्ति के विषय में पढ़ कर ऐसा लगता है कि राष्ट्र के प्रति समर्पित यादव जैसा एक व्यक्ति भी हज़ारों #बेईमानों पर भारी है।।

Friday 22 July 2022

जाति के आधार पर तंग करना-अपराध

  😡


जाति के आधार पर किसी को बेबजह तंग करना भी अपराध है क्या आप जानते है कि क्या वजह है कि जियो और जीने दो का उसूल हमें आज भी नहीं भाता यह खोट है नजर का कि दूसरों का सुखचैन हमसे देखा नहीं जाता।


 इंसानियत के कमजोर होने पर यह लाइनें पड़ी मौजूद सी लगती हैं। जाति के आधार पर इंसान का इंसान में फर्क करना, बेवजह की दूरी और ऊंच-नीच के फासले बनाना एक सामाजिक बुराई है, तालीम व तरक्की बढ़ने के बावजूद चल रही है ऐसी बुराइयों की वजह जातिवाद पिछड़ी सोच व धार्मिक कट्टरता है. बगुला भगत सबसे एक जैसा बर्ताव करने दीन दुखियों की मदद करने व उन्हें गले लगाने की महज बातें करते हैं, लेकिन उनकी कथनी और करनी एक जैसी नहीं होती। हालांकि भेदभाव की बुनियाद पर टिकी मारते आज के समय बेहद पुरानी व खंडहर हो चुकी हैं लेकिन उनका वजूद बरकरार है जो आज भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ।


भारतीय संविधान में भी स्पष्ट किया गया कि जातिवाद को वर्जित करार देकर कि हम भारतीय को समान अधिकार देने की बात कही गई है। सन 2010 में सर्वोच्च न्यायालय राम सजीवन बनाम मुकदमे में आदेश देता हुआ पाया गया कि जातिवाद को समाप्त कर दिया जाए।


लेकिन संसद के अंदर एक ऐसी बहन जी हैं जो दलित वर्ग की राजनीति कर अपने घर भरते पाई गई हैं एक महान भाव ऐसे भी हैं जो जय परशुराम का नारा लगवाकर ब्राह्मण हृदय सम्राट बन बैठे, कुछ लोगों को पटेल जाति के आरक्षण प्रदान करने में इतना दिल्ली पाया गया कि वह भूल ही गए यह देश उनका है वे इस देश के हैं, मित्रों मेरे एक बात समझ नहीं आती कि मंडल से लेकर कमंडल तक यह कैसी राजनीति सत्ता की होड़ मची हुई है जो इस देश की भोली-भाली जनता को और इस देश का भविष्य भूल गए हैं। कोई कहे ठाकुर बात की राजनीति कोई ब्राह्मणों को क्या मिला कोई जाकर हरिजनों को फुल आए तो कोई जाकर जाटों को वर्ग लाए तो कहीं-कहीं तो इस्लाम के नाम पर राजनीति का गोरख धंधा खोल रखा है, जब मैं भारतवर्ष के इतिहास के पन्नों पर नजर डालता हूं तो देखता हूं कि अंग्रेजों ने हम पर 200 साल राज किया, हमको जाति और धर्म में बांट बांट कर राज किया, और उनका सशक्त साम्राज्य उस दिन समाप्त हो गया जब सारा देश भेदभाव की वीडियो को तोड़कर एकजुट हो गया।


आज देश के नेताओं को देखिए जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए जातिवाद को आग लगाकर अपनी सत्ता को बचाने का कार्य कर रहे है, जो जनता को मूर्ख बनाकर अपनी रोटियाँ सेकने में लगे हुए है,जो देश की सेना के शौर्य के ऊपर प्रश्न खड़ा करते है, मैं देश की जनता से एक सवाल करता हूं कि ऐसी मानसिकता वाले नेता का समर्थन करेंगे क्या आप, कि बाल्मीकि के ही कहे या, थे शबरी के भी राम कुबढ़ा के बस में कैसे रहे करुणामई श्याम, युद्धों में कभी हारे नहीं, हम डरते हैं छन छन दोनों से हर बार पराजय पाई है अपने घर के जयचंद्रो से अगर आज के समय में क्रांतिकारी होते तो देखते है जो हँसते हँसते फाँसी के फंदों पर झूल गए क्या वह व्यर्थ था, क्यों कि आज अगर एक राहुल जान देता है तो सिर्फ एक टीना के लिए, आज हम सब को जातिवाद की राजनीती छोड़ कर के राष्ट्रवाद व् विकासवाद की राजनीति करनी चाहिए।


आज देश का वो हाल है कि सत्ता धारी चाहें वो कोई सरकार हो जनता को मूर्ख बनाकर के अपना उल्लू सीधा करने में अग्रसर रहती है वहीं सबसे बड़ी बात तो ये समझ नही आती है कि उच्चशिखर पर बैठें नेता अपना बोट बैंक इक्कट्ठा करने के लिए सरण्यंत्रो को रच देते है लेकिन उसका असर जमीनी स्तर से देखा जाए तो बहुत बुरा पड़ता है यहाँ पर आमजनता जरा सी कहने सुनने में आपस में मार धाड़ कर अपने जीवन को अंधकार में डालते है क्यों सिर्फ और सिर्फ उन नेताओं के लिए जो जनता में जातिवाद की राजनीति कर अपना बोट बैंक बनाकर सीधा करते है इसलिए हम सब एक है मिलकर रहना चाहिए और याद रहे हमें उसी को राजा चुनना है जो जातिवाद की राजनीति छोड़ कर राष्ट्रवाद और विकास वाद की राजनीति करें।

                                    

                                     अनुराग ठाकुर (पत्रकार)


भिखारी की कहानी

 



एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया  कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।


उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।


रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है


वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है


शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ !

15अगस्त2022 तक हर घर पर तिरंगा

 


सभी देश व प्रदेश वासियों से निवेदन है कि 15अगस्त तक अपने अपने घर की छत के ऊपर एक तिरंगा तो होंना ही चाहिए और उसके साथ एक सेल्फी भी होनी चाहिए ,जो कि सोशल मीडिया पर अपलोड होनी चाहिए, जिससे देश के कोने कोने में तिरंगे की चमक दुश्मन के चेहरों की चमक उड़ा दे।

                                     अनुराग ठाकुर (पत्रकार)