Friday 16 September 2022

जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो काल आया


जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो काल


                             जय श्री राम 


 आया !!


और जैसे ही काल आया तो गिद्धराज जटायु ने मौत को ललकार कहा "खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना...मैं मृत्यु को स्वीकार तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती...जब तक मैं सीता जी की सुधि प्रभु "श्रीराम" को नहीं सुना देता...!


मौत उन्हें छू नहीं पा रही है...काँप रही है खड़ी हो कर...मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही... यही इच्छा मृत्यु का वरदान जटायु को मिला।


किन्तु महाभारत के भीष्म पितामह छह महीने तक बाणों की शय्या पर लेट करके मौत का इंतजार करते रहे...आँखों में आँसू हैं...रो रहे हैं...भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...!


कितना अलौकिक है यह दृश्य...रामायण मे जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं...! प्रभु "श्रीराम" रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं...!!


वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह रो रहे हैं और भगवान "श्रीकृष्ण" हँस रहे हैं...भिन्नता प्रतीत हो रही है कि नहीं...? 


अंत समय में जटायु को प्रभु "श्रीराम" की गोद की शय्या मिली...!


लेकिन भीष्म पितामह को मरते समय बाण की शय्या मिली....!


जटायु अपने कर्म के बल पर अंत समय में भगवान की गोद रूपी शय्या में प्राण त्याग रहे है....प्रभु "श्रीराम" की शरण में....और बाणों पर लेटे लेटे भीष्म पितामह रो रहे हैं.... !


ऐसा अंतर क्यों...?


ऐसा अंतर इसलिए है कि भरे दरबार में भीष्म पितामह ने द्रौपदी की इज्जत को लुटते हुए देखा था...विरोध नहीं कर पाये थे...!


दुःशासन को ललकार देते...दुर्योधन को ललकार देते...लेकिन द्रौपदी रोती रही...बिलखती रही...चीखती रही...चिल्लाती रही... लेकिन भीष्म पितामह सिर झुकाये बैठे रहे...नारी की रक्षा नहीं कर पाये...!


उसका परिणाम यह निकला कि इच्छा मृत्यु का वरदान पाने पर भी बाणों की शय्या मिली !!


और....जटायु ने नारी का सम्मान किया...अपने प्राणों की आहुति दे दी...तो मरते समय भगवान "श्रीराम" की गोद की शय्या मिली...!


जो दूसरों के साथ गलत होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं उनकी गति भीष्म जैसी होती है...और जो अपना परिणाम जानते हुए भी...औरों के लिए संघर्ष करते है, उसका माहात्म्य जटायु जैसा कीर्तिवान होता है...!!


 

Sunday 11 September 2022

स्पेशल कहानी -औरतों का त्रिया चरित्र

                        ( त्रिया चरित्र )



एक प्यासा आदमी कुयें के पास गया ? जहां एक  जवान औरत पानी भर रही थी ? उस आदमी ने उस औरत से थोड़ा पानी पिलाने के लिये कहा ? खुशी से उस औरत ने उसे पानी पिलाया ?


पानी पीने के बाद उस आदमी ने औरत से पूछा कि क्या आप मुझे औरतों के त्रिया चरित्र के बारे में कुछ बता सकती हैं ?


इतना सुनते ही वह औरत जोर - जोर से चिल्लाने लगी बचाओ... बचाओ... ?


उसकी आवाज सुनकर गांव के लोग कुयें की तरफ दौड़े ? हाथों में लाठी लेकर आती भीड़ को देखकर उस आदमी ने कहा कि आप ऐसा क्यों कर रही हैं ? तो उस औरत ने कहा कि ताकि गांव वाले आयें और आपको इतना पीटें कि आपके होश ठिकाने लग जायें ? तभी तो आप त्रिया चरित्र समझ पायेंगे ?


यह बात सुनकर उस आदमी ने कहा कि प्लीज मुझे माफ कर दीजिये ? मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई , जो अनजाने में मैंने आपको छेड़ दिया ? 


 उस आदमी ने कहा कि दरअसल मैंने त्रिया चरित्र के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था , कि अगर औरत चाहे तो पगड़ी उछाल भी सकती है और अगर औरत चाहे तो आपको सम्मान दिला भी सकती है ? बस सिर्फ यही जानने के लिए मैंने आपसे यह प्रश्न कर दिया था ? लेकिन मुझे पता नहीं था कि यह प्रश्न सुनते ही आप इतना भड़क जायेंगी और और मुझे लेने के देने पड़ जायेंगे ? मैं तो आपको एक भली और इज्ज़तदार औरत समझ रहा था ?


तभी उस औरत ने कुयें के पास रखा मटके का सारा पानी अपने शरीर पर डाल लिया और अपने शरीर को पूरी तरह भिगा डाला ? यह देखकर तो उस आदमी की सिट्टी - पिट्टी गुम हो गई ? 


वह आदमी उस औरत के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा कि प्लीज मुझे माफ कर दीजिए मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई है ? वह *औरत बोली कि अब अगर तुम मुझसे माफी मांग ही रहे हो तो फिर परेशान मत हो ? मुझ पर भरोसा रखो और देखो कि मैं किस तरह यह नजारा बदलती हूं ?*


  इतनी देर में गांव वाले भी अपने हाथों में लाठियां लेकर उस कुयें के पास पहुंच गये ? गांव वालों ने उस औरत से पूछा कि क्या हुआ ? 


औरत ने कहा मैं कुयें में गिर गई थी ? इस भले आदमी ने मुझको बचा लिया ? यदि यह आदमी यहां नहीं होता तो आज मेरी जान चली जाती ?

 

गांव वालों ने उस आदमी की बहुत तारीफ की और उसको अपने कंधों पर उठा लिया ? गांव वालों ने उसका खूब आदर सत्कार किया और उसको इनाम भी दिया ?


जब गांव वाले चले गये तो औरत ने उस आदमी से कहा कि अब समझ में आया औरतों का त्रिया चरित्र ?


उस औरत ने कहा कि *अगर आप औरत को दुःख देंगे और उसे परेशान करेंगे तो वह आपका सुख- चैन सब कुछ छीन लेगी ?*


 और अगर आप उसे खुश रखेंगे तो वह आपको मौत के मुंह से भी निकाल लेगी ?

         


                          संकलन कर्ता - ठाकुर पवन सिंह 

Sunday 4 September 2022

*हाथों का जादू - बीस वर्षीय शैलेन्द्र की प्रतिमा के मुरीद हुए लोग*


औरैया - आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जो सुनकर अचंभित रह जाएंगे जिसका नाम शैलेन्द्र शाक्य जो कि औरैया नारायणपुर का रहने बाला है,यह कहानी एक ऐसे लडके की है जो कि साधारण परिवार से है,जिसने अपना सदैव जीवन गरीबी में जिया उसने बताया कि उसके पिता जी एक किसान व् पेंटर थे जो कि बसों और ट्रकों में पेंट करके अपना जीवन यापन करते थे,जिसके परिवार में तीन भाई व् दो बहिने, माता- पिता है लेकिन अभी एक साल पहले उसके पिता जी का स्वर्गवास हो गया था शैलेन्द्र ने बताया कि उसने अपनी पढ़ाई केबल कक्षा दस तक ही की है पैसों की तंगी के चलते उसने पढ़ाई नहीं कर पाई, जिसमें उसने बताया कि हम सबको देखते थे तो सोचते थे कि आखिरकार लोग किसी को देखकर उसका चित्र कैसे बना देते है उसके मन में यह एक कला जाग्रत हुई और उसने भी इस प्रतिमा को अपने में जाग्रत करने की मन ही मन ठान ली उसी समय से शैलेन्द्र पेंसिल और सफ़ेद कागज पेपर लेकर के कला को उकेरना शुरू कर दिया और देखते ही देखते कुछ समय में शैलेन्द्र ने किसी भी व्यक्त को देखकर उसका चित्र बनाने की कला में उकरने लगें शैलेन्द्र ने बताया कि उनके इस प्रयास में लगभग दो महीने का समय लगा और उसमें वो सझम हो गए, आज शैलेन्द्र यदि किसी भी व्यक्ति का चित्र देखते ही देखते कुछ मिनटों में हूबहू बनाकर तैयार कर देते है, मैंने आपको इस लडके की कहानी इसलिए बताई कि जरुरी नहीं कि आप बहुत पढ़ लिखकर ही सब कुछ कर सकते है नहीं ऐसा बिलकुल नहीं आपमें केबल कुछ भी करने की कला होनी चाहिए मन में आपने उस कार्य को करने को ठाना हो तो सब कुछ हो सकता है..





                                       *अनुराग ठाकुर*